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आत्मनिरीक्षण

  • लेखक की तस्वीर: Shashi Prabha
    Shashi Prabha
  • 8 जन॰ 2022
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 23 जन॰ 2022


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आत्मनिरीक्षण का तात्पर्य है ,स्वयं का निरीक्षण, यानी कि अपने आप को देखना, अपना मूल्यांकन करना, अपने आप को टटोलना ।क्या अपना मूल्यांकन स्वयं किया जा सकता है? क्या अपनी विशेषताओं को अपने आप में महसूस किया जा सकता है? क्या मनुष्य अपनी कमियों को स्वयं में ढूंढ़ सकता है ?या इस सब के लिए हमें दूसरे की आवश्यकता पड़ती है। नहीं, कतई नहीं !


कुछ लोग अक्सर कहते सुने जाते हैं, कि "आप ही बताइए क्या आपको लगता है कि मैं ऐसा कर सकता हूं ?आप ही बताइए कि मैं कभी ऐसा सोच भी सकता हूं ?"अरे भाई दूसरे से क्यों पूछता है, अपने बारे में तुझ से बेहतर कौन जानता है। अपने अंदर झांक, मन को टटोल ,अपनी आत्मा के दरवाजे खोल, स्वयं से प्रश्न कर! उत्तर तेरे सामने खड़ा है! तू अपने बारे में बहुत अच्छे से जानता है लेकिन डरता है क्योंकि स्वयं से किया गया प्रश्न का उत्तर जब स्वयं तुझे मिलेगा तो वह सच्चाई को उजागर करेगा। हो सकता है वह सच्चाई तेरे स्वार्थ को उजागर कर रही हो ।


स्वयं से किया गया प्रश्न एवं बदले में मिला उत्तर कभी भी झूठ नहीं होता है। वह उत्तर सत्य होता है, और कभी-कभी तो कटु सत्य होता है। यह कटु सत्य मनुष्य को उसका नकारात्मक रूप भी दिखा सकता है ।उसकी आंखों पर बंधी पट्टी खोल सकता है। उसके द्वारा किए गए व्यवहार ने दूसरों की कितनी पीड़ा पहुंचाई है वह यह सुनना नहीं चाहता है। वह मन की आंखें खोलना नहीं चाहता है ।इसीलिए वह दूसरे से अपने बारे में प्रश्न करता है कि आप ही बताइए ?आप ही देखिए ?आप मुझे कृपया कर बताएं !आदि आदि। दूसरा व्यक्ति भली भांति जानता है कि आप क्या सुनना चाहते हैं ।व्यक्ति वही सुनना चाहता है जो उसके पक्ष में जाता है जो उस के पक्ष में नहीं ,उस उत्तर को स्वीकार करने मैं या सुनने में वह तैयार नहीं होता है ।इसीलिए वह दूसरे व्यक्ति को तलाशता है जो आपके अंदर के सच को (जो आप के पक्ष में नहीं जा रहा है )आपको बताएं ।


अब सीधा सा प्रश्न है जब आप स्वयं अपने प्रश्न का उत्तर जानने के पश्चात भी उसको स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो फिर दूसरा व्यक्ति क्यों कर आपको आपके बारे में बताएगा ! जिस सच को आप सुनना नहीं चाहते हैं वही सच दूसरा व्यक्ति आपको बता कर आपसे क्यों पंगा मोल लेगा । दूसरा व्यक्ति आप का निरीक्षण करने का मात्र नाटक करेगा और आप क्या है ?आपने कितना बड़ा अपराध किया है ! आपने कितने व्यक्तियों की आत्मा को ठेस पहुंचाई है ,यह न बता कर आपको आपके द्वारा बुने गए भ्रम जाल में फंसाएगा ।


उसका उत्तर होगा "आप ऐसा कर ही नहीं सकते !आप जैसा व्यक्ति तो आज के समय में मिलना मुश्किल है ! अरे आप परेशान नहीं होइए, जिसको जो सोचना है सोचो आप तो स्वयं में मस्त रहिए आदि आदि।" प्रश्न करता संतुष्ट हो जाएगा ।अगर उत्तर कर्ता जितना वह उसके बारे में जानता है सही सही बता दे तो समझ लीजिए कि उसने अपना शत्रु पाल लिया है स्वयं से प्रश्न करने की हिम्मत जुटाइए, उत्तर सुनने का साहस दिखाइए ! अगर उत्तर अपने आप में सुधार करने वाला है तो सुधार कीजिए ,चमत्कारिक रूप से आप में सुधार होगा ,जो कि आपके अपने लिए होगा ।सरल शब्दों में यही आपका आत्म निरीक्षण है।



 
 
 

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