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क्रंदन

  • लेखक की तस्वीर: Shashi Prabha
    Shashi Prabha
  • 8 जन॰ 2022
  • 1 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 23 जन॰ 2022

जब एक पिता द्वारा उसके संतान के साथ किए गए व्‍यवहार से भावना आहत हुई

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बहुत दिनों से सुनती हूं

इस क्रंदन को मैं

कैसा है यह समझ नहीं कुछ पाती हूं

रिश्ते मृत हैं या मर चुका है इंसान

न जाने यह सब क्यों कर कैसे हुआ?

समझ नहीं कुछ पाती हूं

चीत्कार अब यह बर्दाश्त नहीं होता

रूदनअब यह अनदेखा नहीं होता

रिश्ते छलनी कैसे हुए

रिश्ते जख्मी कैसे हुए

पापा पापा का क्रंदन

पापा हबशी कैसे हुए

सुनते हैं ,सब आते हैं

शोर है कैसा ? यह प्रश्न उठाते हैं

स्वर थोड़ा शांत हुआ

क्रंदन थोड़ा मौन हुआ

तभी धमाका तेज हुआ

फिर रिश्ते की दुहाई तेज हुई

लेकिन अब नीरवता छाई है

कर्कश स्वर ने विराम दिया

भय पाश में खून को बांध दिया

आखिर गलती किसकी है

किसने किसको मार दिया ?

रिश्तो पर भारी पड़ा अहम

सुकोमल पर क्यों पत्थर सा वार किया

घटित यह अंतराल पर होता है

जाने क्यों कर होता है

लोग इकट्ठा होते हैं

मौन हो बतियाते हैं

असफलता की पीड़ा

या भाव असुरक्षा का

कहीं तो कुछ गायब सा है

अपना झूठा रुतबा

अपनों को कमतर आंक गया

रिश्ते छलनी कैसे हुए

रिश्ते जख्मी कैसे हुए

स्वर थोड़ा शांत हुआ

क्रंदन थोड़ा मौन हुआ

आखिर गलती किसकी है

क्यों

रिश्ते ने रिश्ते पर आघात किया।।


 
 
 

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