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द्वारिका पुरी -

  • लेखक की तस्वीर: Shashi Prabha
    Shashi Prabha
  • 31 मार्च 2024
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 6 अप्रैल 2024

द्वारिकाधीष मंदिर श्री सोमनाथ जी से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर प्रमुख तीर्थ भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका है । द्वारकाधीश मंदिर का गर्भगृह एवं मंडप 5000 वर्ष पुराना है। मंदिर के स्तंभों पर कलश और जंजीरों से लटकी घंटियां बड़ी भव्य लगते हैं । मंदिर का बाहरी हिस्सा क्षती ग्रस्त होने पर समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा है ।


 चालुक्य शैली में वर्तमान  मंदिर का निर्माण 15वीं -16वीं शताब्दी में किया गया है । यह भगवान श्री कृष्ण की राजधानी के रूप में वर्णित है । यह गोमती नदी के समुद्र संगम पर स्थित है।द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्री विष्णु जी के आठवे अवतार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है । मंदिर के ऊपर का ध्वज सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता है । 

ध्वजा को दिन में पांच बार बदल जाता है । मंदिर 72 या 75 स्तंभों पर निर्मित पांच मंजिला संरचना है । मंदिर का निर्माण चूना पत्थर से हुआ है । मंदिर में बाहर की ओर पत्थरों को तराश कर लालित्य पूर्ण भव्यता के साथ कारीगरी की गई है । मूर्ति कला का विस्तार है ।


मंदिर की सबसे ऊंची चोटी लगभग 52 मीटर ऊंची है । 

मुख्य मंदिर अपने आप में भव्य और अद्भुत है । मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं ।।मुख्य प्रवेश द्वार (उत्तर प्रवेश द्वार )को मोक्ष द्वार कहा जाता है । दक्षिण  द्वार को स्वर्ग द्वार कहा जाता है । इस द्वार पर 56 सीढीया है ,जो गोमती घाट की ओर जाती हैं । 


 मंदिर में कैमरा या मोबाइल फोन ले जाना निषेध है । दर्शनार्थी मंदिर दर्शन के सुंदर यादों को चित्र के रूप में अपने साथ ले जाने से वंचित रह जाते हैं । मंदिर में सनातन धर्म केअनुसार पूजा अर्चना की जाती है ।








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