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भारत माता का वीर सपूत सुभाष चंद्र बोस

  • लेखक की तस्वीर: Shashi Prabha
    Shashi Prabha
  • 23 जन॰ 2022
  • 3 मिनट पठन

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23 जनवरी 2022 नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती को ’पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का केंद्र सरकार का फैसला सराहनीय है । अब से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी से मनाया जाएगा ।

नेताजी की जयंती को इस समारोह में सम्मिलित करने के लिए मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने यह फैसला लिया है ।

जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में 23 जनवरी 2022 से ही मनाना प्रारंभ कर दिया गया है । नेताजी को श्रद्धांजलि देने के लिए लोकसभा में विशेष कार्यक्रम के आयोजन की व्यवस्था की गई है , इसके साथ ही इंडिया गेट पर, कैनॉपी में प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा , पराक्रम दिवस पर नेताजी की हालोग्राम प्रतिमा को लोकार्पण आज एमएमiसायं में किया जाना है ।

कुछ समय पश्चात इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर सुभाष चंद्र बोस की ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की 25 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी प्रतिमा लगा दी जाएगी । यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा लिया गया है । यह पत्थर तेलंगाना से मंगाया जाएगा । राष्ट्रीय मॉडर्न आर्ट गैलरी के प्रमुख मूर्तिकार अद्वैत गणनायक द्वारा इस मूर्ति को बनाया जाएगा ।

जिस भारत माता के सपूत को, अमर वीर स्वतंत्रता सेनानी को ,आजादी के बाद की केंद्रीय सरकारों के द्वारा भुला दिया गया था ,उसको राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर ,राष्ट्र की जनता को ’पराक्रम दिवस,’ के रुप में दर्शन कराए ।

जापान के ताइपे में तथाकथित ’विमान दुर्घटना’ को 77 वर्ष हो गए हैं । नेताजी, भारत माता का अमर सपूत इस विमान दुर्घटना में मारा गया ऐसा प्रचारित किया गया ।

लेकिन इस प्रचार को हमेशा ही संदेह की निगाह से देखा गया है । देशभक्तों का एक समूह ऐसा रहा है जिसने इस प्रचार पर हमेशा ही संदेह किया है ।अंग्रेजों ने भी भारत छोड़ते समय गुपचुप तरीके से नेताजी की स्थिति की जांच कराई ।

क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सरकार के विरुद्ध भारतीय जनमानस में गुस्सा भरा था । सन 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उसी की परिणिति था । मित्र देशों के विरुद्ध धुरी राष्ट्रों का संगठन मजबूती से मैदान में डटा था । ब्रिटिश भारतीय सरकार के शोषण के विरुद्ध ,कांग्रेस से अलग होकर फॉरवर्ड ब्लॉक के रूप में , नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरीखे देशभक्तों के एक समूह द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध एक नया मोर्चा खुल चुका था । मातृभूमि को स्वतंत्र कराने की खातिर देशभक्तों के इसी मोर्चे ने जर्मनी , जापान के सहयोग से ब्रिटिश भारतीय सरकार का विरोध किया एवं विदेशी भूमि पर आजाद हिंद सरकार की स्थापना की ।

इसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस को युद्ध अपराधी घोषित कर दिया । और इस अपराधी को पकड़ा जाना और अंग्रेजों को सुपुर्द किया जाना वांछित था ।

अंग्रेजों के बाद स्वतंत्र भारत में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने इस जांच गतिविधि को प्रारंभ करने का नाटक भर किया ।

भारतीय जनता की ओर से लगातार दावा किया जाता रहा कि नेताजी को जिंदा देखा गया है , कभी देहरादून में राजपुर रोड पर बने आश्रम में तो कभी फैजाबाद में साधु के रूप में उनके दर्शन के सशक्त दावे होते रहे हैं ।

सन 2008 के लगभग नेताजी की एक पुरानी फोटो , एक समाचारपत्र में प्रकाशित की गई । इस तस्वीर में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को, जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु पर सन 1964 में दिखाया गया है।

क्योंकि भारतीय जनमानस में नेताजी की तथाकथित मृत्यु से जुड़ा प्रकरण हमेशा ताजा रहा तो प्रधानमंत्री मोदी जी ने जन भावनाओं को सम्मान करते हुए ,नेताजी से संबंधित कुछ फाइल सार्वजनिक की गई लेकिन इसमें भी पूर्णतया सफलता प्राप्त नहीं हुई ।

कहीं न कहीं कुछ मिसिंग जरूर है ।

यद्यपि यहां पर भी कुछ लोगों का एक समूह ऐसा है जो मोदी जी पर आरोप लगाता है के उनका इरादा जांच कराने से ज्यादा नेहरू को बदनाम करना ज्यादा है... लेकिन इसमें कोई दम नहीं है । जब जांच होती है तो उस जांच से जुड़े हर तथ्यों की ,हर व्यक्ति की जांच होती है ,जो समकालीन परिस्थितियों से जुड़े रहे हो ।

मैं मानती हूं मोदी जी को इस जांच को जारी रखना चाहिए। एक बार पुनः गहराई से तथ्यों को तलाशने की कोशिश करनी चाहिए ।

राष्ट्रभक्त मोदी जी की तरफ आशा भरी सशक्त उम्मीद से देख रहे हैं ।

मोदी है तो मुमकिन है।

जय हिन्द ।।

 
 
 

1 टिप्पणी


Shweta Saini
Shweta Saini
23 जन॰ 2022

You are an amazing , explain everything in detail.the article is very interesting & effective.thank you mamiji . goodluck in the upcoming articles.

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