मोढेरा का सूर्य मंदिर
- Shashi Prabha
- 31 मार्च 2024
- 2 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 7 अप्रैल 2024
यह मंदिर गुजरात राज्य के मेहसाणा जिले की पुष्पावती नदी के किनारे स्थित है । यह स्थान पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है । पुराणों में भी मोढेरा के सूर्य मंदिर का जिक्र आया है । यह मंदिर चालुक्य नरेश राजा भीमदेव प्रथम (1022 1022-63 ई.) के शासनकाल में बनाया गया था।
स्थापत्य की दृष्टि से यह सूर्य मंदिर गुजरात में सोलंकी शैली में बने मंदिरों में एक उत्कृष्ट उदाहरण है । यह बेजोड़ शिल्प कला एवं सुंदर स्थापत्य कला का नमूना है ।
भीमदेव प्रथम 1022 के लगभग शासक बना 1022 ई के लगभग दुर्लभ राजनीति राजकाज से निवृत्ति ले ली और अपने स्थान पर अपने भतीजे भीमदेव प्रथम को राजा बनाया । 1024 -25 ई.के दौरान महमूद गजनवी ने चालुक्य वंश के शासक भीमदेव प्रथम पर आक्रमण किया । महमूद गजनवी ने जब 1024 -25 ई. में चालुक्य नरेश भीमदेव प्रथम पर आक्रमण किया था तो मोढेरा में गजनवी को रोकने का असफल प्रयास किया गया था । इस दौरान सूर्य मंदिर की भव्यता भी लूटी गई दिखती है ,क्योंकि सूर्य मंदिर के सभा मंडप का ऊपर की ओर का स्ट्रक्चर तोड़ा गया प्रतीत होता है ।
अलाउद्दीन खिलजी ने भी सूर्य मंदिर को नुकसान पहुंचाया था । सूर्य मंदिर के गर्भ गृह में प्रदक्षिणा पथ भी बना हुआ है ।इसकी परिक्रमा कर बड़ा ही शांति का अनुभव हुआ मुझे ।
यहां पर मुख्य मंदिर, सभा मंडप एवं सूर्य कुंड के फोटो लेने की अनुमति थी अतः मैंने यहां पर बहुत से फोटो लिए । मंडपों के बाहर की ओर एवं स्तंभों पर इतनी सूक्ष्म , मनमोहक एवम् अद्भुत नक्काशी की गई है कि उन पर से आंखें हटाना मुश्किल है ।मंडप की छत की भव्यता तो देखते ही बनती है ।
मुख्य मंदिर ,मंडप एवम् सभा मंडप उल्टे कमल की आकृति के ऊंचे प्लेटफार्म (जगती )पर बना हुआ है ।
मुख्य मन्दिर से लगा सभा मंडप या नृत्य मंडप है । यह गर्भ गृह एवं मंडप से जुडा हुआ नहीं है। सभा मंडप के सामने एक अलंकृत तोरण द्वार है ,और इसके ठीक सामने एक आयताकार कुंड है जिसे सूर्य कुंड कहा जाता है।
सूर्य कुंड के जल स्तर तक पहुंचने के लिए कुंड के अंदर चारों ओर सीढ़ियां तथा प्लेटफार्म बने हुए हैं ।इसके साथ ही कुंड के अंदर छोटे आकार के छोटे -बड़े मंदिर भी बने हुए हैं जो विभिन्न देवी देवता जैसे शीतला माता , गणेश , शिव एवम् शेषाई विष्णु आदि को समर्पित किए गए हैं ।
आज के समय में आज के समय में यहां पर सूर्य देव की कोई पूजा अर्चना नहीं होती है मेरा मानना है कि यहां पर पूजा अर्चना की स्वीकृति दी जानी चाहिए ।
मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है ।
मंदिर परिसर में अभी हाल ही में 3D प्रोजेक्शन ,जो कि सौर ऊर्जा से संचालित होता है, का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया था।3D प्रोजेक्शन के समय मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।








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