श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर
- Shashi Prabha
- 31 मार्च 2024
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अपडेट करने की तारीख: 8 अप्रैल 2024
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर -
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (जिला गिर सोमनाथ में ) भारत के गुजरात राज्य के काठियावाड़ के तट पर स्थित है । सोमनाथ मंदिर का 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम स्थान है । भारत के पश्चिम में गुजरात (सौराष्ट्र )के समुद्र तट पर ऐतिहासिक प्रभास तीर्थ स्थित है । यहां पर वेरावल बंदरगाह है । यहीं पर प्रसिद्ध एवं दर्शनीय सोमनाथ मंदिर है । यह चालुक्य शैली में बना मंदिर है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था जिसका उल्लेख पुराण भी करते हैं।
गुजरात के चालुक्य शासक भीमदेव प्रथम के शासनकाल में 1025 ई में महमूद गजनवी ने इसके राज्य पर आक्रमण किया और सोमनाथ के प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट भ्रष्ट कर दिया । माना जाता है कि भीमदेव ने महमूद गजनवी का सामना नहीं किया ओर बिना लड़े ही भाग गया। महमूद गजनवी के जाने के बाद उसने मालवा के शासक के साथ मिलकर पुनः मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
17 अक्टूबर 1024 ई के दिन महमूद गजनवी एक विशाल सेना लेकर गजनी से चल पड़ा। कहा जाता है कि इससे बड़ी सेना का उसने पहले कभी संचालन नहीं किया था । 20 नवंबर को वह मुल्तान पहुंचा । क्योंकि उसे राजपूताना के दुर्गम मरुस्थल में से होकर गुजरना था इसलिए मार्ग में उसने अत्यधिक सावधानी से काम लिया , प्रत्येक सैनिक को अपने साथ 7 दिन के लिए भोजन पानी और चारा ले चलने के लिए बाध्य किया गया । इसके अतिरिक्त महमूद ने संपूर्ण सेना के लिए पर्याप्त भोजन और पानी का प्रबंध किया जिसे 30000 ऊंटो पर लादा गया । वस्तुतह , सेना के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कोई मुश्किल कार्य नहीं था क्योंकि रास्ते में पड़ने वाले गांवों एवम् शहरों को महमूद लूटमार करता हुआ , आगे बढ़ रहा था। वहां से लोगों को बंदी बनाकर आगे के आक्रमण करने के लिएसाथ ला रहा था।जो इस्लाम कबूल नहीं कर रहे थे उनका कत्लेआम हो रहा था।
जनवरी 1025 ई में जब महमूद गजनवी अनहिलवाड पहुंचा तो उसे यह देखकर अत्यंत आश्चर्य हुआ कि राजा भीमदेव अपने अनुयायियों सहित राजधानी से भाग गया है । जो लोग पीछे रह गए थे उन्हें आक्रमणकारियों ने हराया और लूट लिया। कत्लेआम की आज्ञा दी गई । 50000 से अधिक स्त्री पुरुष जो मंदिर की रेक्षा के लिए एकत्र हुए थे,मौत के घाट उतार दिए गए । महमूद ने स्वयं श्री सोमनाथ की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को गजनी ,मक्का और मदीना भिजवा दिया गया। वहां की गलियों में , खास मस्जिद की सीढ़ियों पर डलवा दिए गए , जिससे नमाज के लिए आने जाने वाले लोग उन्हें अपने पैरों के नीचे रौंद सके । इस मूर्ति की गणना संसार की महान आश्चर्यजनक वस्तुओं में की जाती थी । वह मंदिर के बीच में स्थित थी और नीचे अथवा ऊपर से बिना किसी सहारे के खड़ी हुई थी । हिंदुओं की उसमें अत्यधिक श्रद्धा थी । और जो भी उसे आकाश में स्थित देखता था आश्चर्य चकित हो जाता था । छत में चकमक पत्थर के जो टुकड़े लगे हुए थे उन्हें महमूद ने हटवा दिया तुरंत ही श्री सोमनाथ की मूर्ति पृथ्वी पर गिर पड़ी और तोड़कर उसे छार -छार कर दिया गया । कहा जाता है कि मंदिर की लूट में 2000000 दिनार से भी अधिक का धन आक्रमणकारियों को प्राप्त हुआ जिसे लेकर महमूद गजनवी सिंध के मार्ग से गजनी लौट गया।
129 9 ई में अलाउद्दीन खिलजी ने उलूग खान तथा नुसरत खान की अधीनता में एक सेना गुजरात विजय करने के लिए भेजी। उसके समृद्धशाली राज्य की राजधानी अनहिलवाड (आधुनिक पाटन) थी ।उस पर तुर्की आक्रमणकारियों ने अनेक बार धावे किए थे किंतु वह उसे कभी विजय न कर पाए थे । उस समय बघेल राजा करण उस पर शासन कर रहा था। अनहिलवाड़ का सुंदर और संपन्न नगर पूर्णतया लूट लिया गया ।सोमनाथ मंदिर जिसका पुनर्निर्माण कुमार पाल (1143 -74 ई .)द्वारा निर्मित किया गया था । इस प्रसिद्ध मंदिर की संपत्ति अधिकृत कर ली गई उसकी मूर्ति खंडित कर दी गई और उसे दिल्ली ले जाया गया जहां उसे मुसलमानों के पैरों तले रौंद जाने हेतु फेंक दिया गया।
उलूग खान द्वारा मंदिर ध्वस्त किए जाने के पश्चात जूनागढ़ के राजा चूड़सेन ने (1270 -1333 ई.)इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
इसके बाद कई बार मूर्ति एवं शिवलिंग प्रतिष्ठित एवं खंडित हुए। औरंगजेब के समय में सोमनाथ मंदिर की फिर से मूर्ति एवं शिवलिंग को खंडित किया गया।
वर्तमान मंदिर के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार के गृह मंत्री लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने कराया है। 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिंग स्थापित किया । एवं पहली दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया ।
वर्तमान समय में मन्दिर परिसर में सायं 7: 30बजे से दो शिफ्ट में 25-25मिनट का साउंड एंड लाइट प्रोग्राम होता है जिसमे सोमनाथ मन्दिर के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है।
मेरी व्यक्तिगत राय के अनुसार चूंकि मंदिर ने बार बार जिस तरह बर्बादी का सामना किया है अतः उसके इतिहास पर और बारीकी से प्रकाश डाला जाना चाहिए।
Photo Credits - By B. SurajPatro1997 - Own work, CC BY-SA 4.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=139899998

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